Posts

Showing posts from July, 2017

एक बावला सा सपना ।।

Image
         # एक   # बावला   # सा   # सपना  ।।  💭 💭 💭 पलकों की देहरी पर बैठी उन्नींदी परियों संग आया हूँ ..... सपने तेरे रौशन करने को मैं चाँद तोड़ के लाया हूँ.....                                                  https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/                                                     https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha

मुक्त ईहा✍✍

Image
वक़्त नहीं गुजरता , हम और आप गुजरते जाते हैं !!!! कुछ याद सदा रह जाता है , कुछ यादें हम आप बनाते हैं !!!!                                                  https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/                                                     https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha

यूं खिरद में आकार सिमट गए

Image
यूं खिरद में आकार सिमट गए मेरे आखर तेरी सोच से लिपट गए , कहलाया वो भी काव्य सृजन कोरे कागज़ पर जो बिखर गए ।।।।।। आहिस्ता से मुझको भान हुआ कितने ही मौसम गुज़र गए , वो रंग पलाशों के बिसरे सांवली शामों वाले बज़्म गए ।।।।।। इक वक्त था जब कौड़ी कंकड़ की खनक में भी माधुर्य सा था , इक वक्त आज है जबकि हम मोहरों के जाल में उलझ गए ।।।।।। धुंधला छाया अरु दिवस गए दुनियादारी में हम बदल गए , देखा उस रज को परे हटा अनंतर तेरे रंग में संवर गए ।।।।। हर हरफ़ से निकले भाव वही फिर कई मिसरे गुमनाम हुए , कहलाया वो भी काव्य सृजन कोरे कागज़ पर जो बिखर गए ।।।।। यूं खिरद में आकार सिमट गए मेरे आखर तेरी सोच से लिपट गए , कहलाया वो भी काव्य सृजन कोरे कागज़ पर जो बिखर गए ।।।।।। ●●●●●●●"  # मुक्त   # ईहा  " 1. खिरद - दिमाग 2. बज़्म - सभा/गोष्ठी 3. मिसरे - कविता में आधारभूत पहला चरण                                           ...

मुक्त ईहा✍✍

Image
मौन विचारों के मुक्त लेखन की कोशिश।।। यह विश्व तो अनादि और अनंत है, तो कारण भी कुछ वैसे ही होंगे, जिनकी वजह से लिखती हूं, या लिखने की कोशिश करती हूँ।।                                                                                         https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/                                                                                       https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha 

सुकून भरी मुस्कान.....

Image
ताउम्र खर्च दी इन झुर्रियों को पाने में फिर क्यों न.... इनपर आई मुस्कुराहट बेशकीमती लगे !!!   https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/                                                     https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha

पहली बारिश की पहली उम्मीद

Image
बारिश ने जो माटी को छुआ तो सौंधी खुशबू बिखर गई , उन इत्र भरे बाज़ारों की राहें ही मुझको बिसर गई........ पेड़ों की डाली पर सोये कोपल की निंदिया उचट गई , ठंडी पुरवाई चली जो फिर मौसम की रंगत बदल गई........ सावन की दस्तक हुई तो फिर हर भय की कुण्डी चटक गई , जो गुजरा खेत खलिहानों से कितने चेहरों की रंगत निखर गई..... बारिश ने जो माटी को छुआ तो सौंधी खुशबू बिखर गई , उन इत्र भरे बाज़ारों की राहें ही मुझको बिसर गई........  https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/    https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha

मुक्त ईहा✍✍

Image
शब्दों के साथ अपने तारतम्य को निभाते हुए विचारों को भावार्थ देने की छोटी सी कोशिश है लेखन ✍ ✍ ।  जहाँ स्वच्छन्द विचार एक पाखी की भांति सुरुचि से ज्ञानार्जन करते हुए सुदृढ़ भविष्य की संरचना तैयार करते हैं। जहाँ घोंसले की बुनियाद हौसले से रखी जाती है कि अगर मौसम ने साथ दिया तो प्रशंसा अन्यथा तूफानी हवाओं के समान आलोचना अथवा उपहास मिलने पर वृक्ष से धरातल पर गिर बिखर जाने का डर।। किन्तु जब वह पाखी भी अपने हौसले को इन मुसीबतों से पस्त नहीं होने देते तो भला मैं क्यूँ अपनी वर्त नी को आलोचना के डर से रोक दूँ।। क्योंकि सत्य तो यही है की आलोचना के समंदर को पार कर प्रशस्ति के आकाश में दैदीप्तयमान होने से अद्भुत शायद कुछ भी नहीं है।। और यह तो प्रारब्ध है समाप्ती नहीं, यही उम्मीद है इस कलम की।। क्योंकि शब्दों के साथ अपने तारतम्य को निभाते हुए विचारों को भावार्थ देने की छोटी सी कोशिश है लेखन ✍ ✍ ।                                                  https://www.face...