Unspoken✍
यह टीस है या सीख आप स्वयं निर्धारित करें!!🙏
बड़े दिनों से अधूरी सी पड़ी थी, आज मुक्कमल हुई तो साझा कर ली आप सभी से!!😊😊
(सुझाव अपेक्षित हैं🙏🙏)
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सुना था तने हुए दरख़्त ही सबसे पहले कटते हैं,
इसलिये हमने अदब से सर झुकाना सीख लिया!!
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बचपन से ही था बना दिया तहज़ीब घर की मुझे,
देख़ आते ही सबको आदाब फ़रमाना सीख लिया!!
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इज़्ज़त मुझसे है सबकी ये सबक़ सभी ने रटाया यूँ,
नन्हें हाथों ने भी सिर पर दुपट्टा जमाना सीख लिया!!
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बोले जात मेरी तालीम हासिल करके बहक जाती है,
किताबें ख़ाक करके जी चूल्हा जलाना सीख लिया!!
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अहसास ये दिलाकर हर घड़ी कि बोझ मेरा है बड़ा,
मेरे अपनों ने ही मुझको मेहमान बनाना सीख लिया!!
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ये अल्हड़पन नहीं फ़बता शरीफ़ खातून को मौला,
गुड़िया का ब्याह छोड़ ख़ुद घर बसाना सीख लिया!!
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मुहब्बत मिले या हो सितम सभी चुपचाप सहने हैं,
शौहर का किया वाज़िब ये भी दोहराना सीख लिया!!
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जो न कहके नाफ़रमानी की तो ज़बरन मसली गई हूँ,
तो हाँ में मिलाके हाँ मैंने तकिया भिगाना सीख लिया!!
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जिस औलाद को हर एक पल तमीज़दारी से सींचा,
ज़वां होते ही उसने भी मुझपर चिल्लाना सीख लिया!!
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ताउम्र पीस डाला मैंने ख़ुद को जिनकी तीमारदारी में,
वो उम्रदराज़ी में मुझे दूजे ठिकाने बताना सीख लिया!!
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यूँ बात-बेबात रौंद कर नाबूद सभी ने किया मुझको,
मैंने मौत से मिलकर फ़िर नज़रें उठाना सीख लिया!!
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छायाचित्र आभार🤗 : !n+erne+
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