Talaash!!
वो पूछते हैं मुझसे कि कौन हो तुम,
मैंने कहा कि अपनी ही तलाश में हूँ मैं।
स्याह रात में निकली हूँ मशाल मैं लिये
कुछ बुझे चिराग़ जलाने की फ़िराक़ में हूँ मैं।
कई राहों से गुज़री हूँ सफ़र-ए-ज़िंदगानी में
ख़ोजी हूँ आप ही से मुलाक़ात में हूँ मैं।
घावों के सबक सारे हैं मेरे जिस्म पर गुदे
औऱ रूह-ए-ख़ुद्दारी की शिनाख़्त में हूँ मैं।
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© Śमृति #Mukht_iiha
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