๐ŸSnake Bite๐Ÿ

यह तीक्ष्ण सर्पदंश सा ।

नसों में क्या उतर रहा है मंद सा
मंद सा वरन प्रचंड सा
उबलते रोष का लगे है अंश सा
यह तीक्ष्ण सर्पदंश सा ।

रक्त मानुषों का हो रहा विरंच सा
विरंच बंधित किसी तंज सा
क्रूर पथ भी सामने खड़ा विहंग सा
यह तीक्ष्ण सर्पदंश सा ।

इंद्रियों में छिड़ने लगा है द्वंद सा
द्वंद सा सरीखे अंत सा
तृष्णा आत्मा पे कसती भय फ़ंद सा
यह तीक्ष्ण सर्पदंश सा ।

जीवन के चक्रव्यूह मरण के प्रबंध सा
प्रबंध जैसे बिरले संबंध सा
अकुलाते तन के निस्पन्दित आनंद सा
यह तीक्ष्ण सर्पदंश सा ।
•••✍✍
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