Simple Talks๐ซ
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बड़े दिनों से कई सवाल थे ज़ेहन में,
सोचा आज तुम भी हो, मैं भी
तो पूछ ही डालूं तुमसे।।
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सुनो!!!
ग़र मैं एक छोटी बात कहूँ
तो मुझसे नाराज़ तो नहीं होगी।
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ग़र स्याह आकाश को रात कहूँ
तो उजली सी आग तो नहीं होगी।
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ग़र पूनम को चाँदनी की बरसात कहूँ
तो तारों से मुलाकात तो नहीं होगी।
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ग़र साग़र को छलके जाम का गाज़ कहूँ
तो मयखानों को परवाह तो नहीं होगी।
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ग़र झुकी डाली को खिंची कमान कहूँ
तो शिकारी तीरों की झंझावात तो नहीं होगी।
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ग़र धरा पे झुकते नभ को रसिक मिज़ाज़ कहूँ
तो नाबूद आशिकों की बज़्मे ख़ाक तो नहीं होगी।
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सुनो!!!
ग़र मैं एक छोटी बात कहूँ
तो मुझसे नाराज़ तो नहीं होगी।
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© Śमृति #Mukht_iiha
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