Childhood memories๐Ÿค—


नानी वो क़िस्से ज़रा फिर से सुनाना
याद आता है बचपन का गुज़रा ज़माना।

वो चाँद वाली बुढ़िया का आँखे दिखाना
बादलों में छिपे हुए सारे चेहरे ढूंढ बताना।

छई-छप्पा छई कहके कीचड़ में कूद जाना
तेज़ बारिश में दौड़ कागज़ के जहाज़ बहाना।

ठिठुरती सर्दी में अलाव पे महफ़िल जमाना
दुबक कर रज़ाई में हंसकर घण्टों बतियाना।

दादी का नज़र उतारने को कुछ बुदबुदाना
पीर बाबा की मन्नत का काला धागा बंधाना।

अम्मा का रोज़ थक कर हमपर झल्लाना
और हमारा दौड़ उनके कंधे पर झूल जाना।

नानी वो क़िस्से ज़रा फिर से सुनाना
याद आता है बचपन का गुज़रा ज़माना।
••✍✍✍
© Śमृति #Mukht_iiha
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