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तुम्हारा होना जैसे
सुबह की अदरक वाली चाय का ज़ायका
नई खुली क़िताब से आती सौंधी महक़
पायल की रुनझुन खनकती आवाज़
पुरानी डायरी में दबा सूखा ग़ुलाब।
तुम्हारा होना जैसे
फुहारों के बीच आहिस्ता से निकला इंद्रधनुष
मौसिकी वाली नज़्म गुनगुनाता रेडियो
इतवार का अलसाया सा ख़ुमार
चादर की सिलवटों में उलझा इक़रार।
तुम्हारा होना जैसे
आईने में अपना अक्स देख मुस्काना
अकेले में प्यार भरा नग़मा गुनगुनाना
तेरी तस्वीर साथ शामों को बतियाना
हल्के से जुल्फों में उंगली फिराना।
तुम्हारा होना जैसे
अंबर पर टिमटिमाता सा चाँद
नैनों के गलियारों में भटकता एक ख़्वाब
मेरा ख़ुद से बातें कर चहकना
तेरी यादों में हर लम्हा बहकना।
तुम्हारा होना जैसे मेरा पूरा हो जाना
तुम्हारा होना जैसे नहीं कुछ बाकी रह जाना।
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