Piya❤
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झर-झर नीर बहे नैनन से
कैसे तोहे बतियां सुनाऊं पिया।
तोहे देखूं छिपते छिपाते
अपनी सुध-बुध बिसराऊं पिया।
छाप तिलक सब छीनी मोसे
अंग तोरी सुगंध ही पाऊं पिया।
पैजनिया के बंधन तजके
मैं विरहन सी अकुलाऊं पिया।
तोरी बतियों ने जो छुअन दी
अब मन ही मन सकुचाऊं पिया।
चरणों की धूली तेरी लेकर
सूनी अपनी मांग सजाऊं पिया।
सर चूनर ओढूं लोकलाज की
तेरे सम्मुख ओहे गिराऊं पिया।
अधर न खोलूं सांसों से तोलूं
मोरी प्रीत से महक मैं जाऊँ पिया।
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© Śमृति #Mukht_iiha
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