Love๐Ÿ’š

💑

पता नहीं कि
तुम्हें पता है भी
या नहीं कि.......

मैं जो हर रोज़
सुबह देर तक आंखे मीचे रहता हूँ।
दरअसल अलसुबह की
ख़ामोशी में तेरी पाज़ेब की
बेसुध मीठी छन छन सुनते रहता हूँ।

मैं जो हर सुबह
अख़बार में चेहरा छिपा लेता हूँ।
तुझसे ही बचाकर तेरी
चेहरे पर बहकती चली आती
अल्हड़ लट का दीदार फ़रमा लेता हूँ।

मैं जो चाय की तेज़
आवाज़ में चुस्कियां तुम्हें सुनाता हूँ।
तुम्हारा तिरछी नज़र कर
मुझे गुस्से में घूरना और ख़ुदाया
मैं उसे देख़ फ़िर तेरा दीवाना हुए जाता हूँ।

ये मोतियों के झुमके तेरे कानों में
सजते हैं क्या ख़ूब!
सारे गहरे चटख रंग भी तुमपर
फ़बते हैं क्या ख़ूब!

नाज़नीन हो, माहजबीं हो
हबीब हो मेरी या ज़ेहनसीब हो।
नेमत है यह रब की मुझ पर
मेरी हो तुम हमेशा ही मेरे क़रीब हो।

पता नहीं कि
तुम्हें पता है भी
या नहीं कि.....
........कि हर पल मैं
तुम्हें देखकर
तुमसे नहीं पर ख़ुद से
यकीनन यही कहता हूँ!!!!
•••✍✍✍
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