Ghazal✍
अरमान उनसे जो जुड़े देखो कैसा कहर ढा गये,
काँच से ख़्वाब मेरे एक पत्थर दिल से टकरा गये ।
टूटा चूरा खवाहिशों का आंखों मे फिर यूं चुभा,
दोज़ख और फ़िरदौस ज़मीन पर ही नज़र आ गये ।
नाज़नीन महज़बीन कहते हुये हाय! सितमगर,
मेरे पाक दामन पर वासना के दाग लगा गये ।
मीठी चाशनी सी रुबाई हरपल कानों में घोलकर,
लम्हे सारे मेरे वो तो मेरी पलकों तले चुरा गये ।
अब शिकवे करूँ किससे यहाँ किससे गिला रखूँ,
वो जाते-जाते भी मेरी लाश पर खंजर चला गये ।
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