Dilkahi❤
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जो सीखा तुमसे सीखा !
मौसम से समय बदलना सीखा है,
साँसों से हरदम चलते रहना सीखा ।
इश्क़ से बिन पिये बहकना सीखा है,
मुश्क से टूटकर तड़पना सीखा ।
अशकों से थमकर रहना सीखा है,
मेघों से जमकर बरसना सीखा ।
निंदिया से ख़्वाब को चुनना सीखा है,
सुबह से मंज़िल तक बढ़ना सीखा ।
अम्मा से नन्ही फ़िकरें करना सीखा है,
बाबा से अपनों का संबल बनना सीखा ।
लोकलाज से छिप के रोना सीखा है,
पर खुल के मुस्काना तुमसे सीखा !
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© Śमृति #Mukht_iiha
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